लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाले आरोपी जुगराज सिंह के परिजन ने कहा- उसे उकसाया गया

22 वर्षीय जुगराज मजदूरी करता है और उसके परिवार पर 5 लाख रुपए का कर्ज है

लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाले आरोपी जुगराज सिंह के परिजन ने कहा- उसे उकसाया गया

किसान आंदोलन के नाम पर 26 जनवरी को दिल्ली में जो हिंसा हुई उससे पूरा देश शर्मसार है। इस दिन लाल किले पर धार्मिक झंडा लगा दिया गया। इसका आरोप 22 साल के जुगराज सिंह पर है। वह पंजाब के तरनतारन जिले के वां तारा सिंह गांव का रहने वाला है। वह मजदूरी करता है। उसके परिवार पर पांच लाख रुपए का कर्ज है। 26 जनवरी की रात 10 बजे ही पुलिस जुगराज के घर पहुंच गई थी। पूछताछ में जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह ने सिर्फ यह बताया था कि उनका बेटा किसान आंदोलन में शामिल होने दिल्ली गया है। इसके बाद से जुगराज के पिता बलदेव सिंह, मां भगवंत कौर और एक बहन अंडरग्राउंड हो गए हैं। जुगराज के परिवार में माता-पिता, दादा-दादी और तीन बहनें हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। गांव वां तारा सिंह पाकिस्तान के बॉर्डर से सटा हुआ है। यहां बॉर्डर पर तार फेंसिग से सटी दो एकड़ जमीन पर जुगराज का परिवार खेती करता है। मैट्रिक पास जुगराज ढाई साल पहले चेन्नई की एक प्राइवेट कंपनी में काम करने गया था, लेकिन पांच महीने बाद ही लौट आया था। अब मजदूरी करता है। बताया जा रहा है कि गांव से 24 जनवरी को कुछ लोगों को लेकर दो ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिल्ली के लिए रवाना हुई थीं। जुगराज भी इनके साथ गया था।

जुगराज के दादा महल सिंह का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य कभी किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।

जुगराज के घर पर अभी दादा महल सिंह और दादी गुरचरण कौर हैं। दादी ने बताया कि गांव में छह गुरुद्वारे हैं। जुगराज इन गुरुद्वारों में निशान साहिब पर चोला चढ़ाने की सेवा करता था। वे अपने पोते के बचाव में कहती हैं कि साथियों के उकसाने पर जोश में आकर जुगराज ने लाल किले पर झंडा चढ़ा दिया होगा। जुगराज के घर पर पड़ोसियों का आना-जाना जारी है। इन सब का दावा है कि जुगराज और उसके परिवार का खालिस्तान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि जांच की जा रही है कि मामला खालिस्तान आंदोलन से तो नहीं जुड़ा है।